आशिषा सिंह राजपूत, नई दिल्ली
स्थानों का नाम परिवर्तन कर, नए नाम रखने का मानो रिवाज सा बन गया है। जैसे सरकारे बदल रही है, वैसे ही पुराने नाम से प्रसिद्ध शहरों के नाम भी बदले जा रहे हैं। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए महाराष्ट्र में भी शहरों के नाम बदली की राजनीति शुरू हो गई है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार ने ‘औरंगाबाद’ शहर का नाम बदलकर ‘संभाजीनगर’ करने जा रही है.
‘औरंगाबाद’ का नाम बदलकर ‘संभाजीनगर’ करने की क्या है वजह?
महाराष्ट्र सरकार ने राष्ट्रवाद का हवाला देते हुए कहा कि मुगल शासक कोई सेक्युलर शासक नहीं थे। वहीं औरंगजेब के नाम से जुड़ा औरंगाबाद के बारे में कहते हुए उधर सरकार ने कहा कि औरंगजेब कभी भी राज्य के धर्म और अभिमान का प्रतीक नहीं रहा है। बता दें कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि शिवसेना ने यह कदम अचानक से उठाया है, बल्कि
औरंगाबाद का नाम बदलना शिवसेना की पुरानी मांग रही है। शिवसेना पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक आर्टिकल लिखा है, कि पार्टी जल्दी ही औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने जा रही है।
वहीं शिवसेना ने अपने इस फैसले का समर्थन मुसलमानों से जोड़ते हुए कहा कि मुसलमानों को से कोई आपत्ति नहीं है। वह अनावश्यक विवाद नहीं चाहते हैं। मुसलमानों ने राष्ट्रवाद का रास्ता अपनाते हुए शिवसेना के समर्थन में हैं। महाराष्ट्र के मुसलमान विकास और कल्याण चाहते हैं, इसलिए वह हमारे साथ हैं। शिवसेना ने कहा, ‘यह छत्रपति शिवाजी महाराज की स्मृति का अपमान होगा कि महाराष्ट्र में किसी शहर का नाम औरंगजेब के नाम पर रहे, जिसने छत्रपति संभाजी महाराज की निर्ममता से हत्या की थी।’
कांग्रेस कर रही है विरोध
जैसे ही शिवसेना पार्टी के प्रमुख पत्र ‘सामना’ से ‘औरंगाबाद’ का नाम बदलकर ‘संभाजीनगर’ करने की यह बात सामने आई, कांग्रेस ने इस प्रस्ताव का विरोध करना शुरू कर दिया। महाराष्ट्र कांग्रेश प्रमुख बालासाहेब थोराट ने कहा था कि उनकी पार्टी औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर किये जाने के किसी भी प्रस्ताव का सख्त विरोध करती है। थोराट ने कहा कि स्थानों का नाम बदलना तीनों सत्तारूढ़ दलों के साझा न्यूनतम कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है।
वहीं भाजपा नेताओं ने शिवसेना के इस प्रस्ताव के बाद यह मांग करनी शुरू कर दी कि शिवसेना को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। शिवसेना ने विरोधियों का जवाब देते हुए कहा है कि बालासाहेब ठाकरे ने 30 साल पहले ‘औरंगाबाद’ का नाम बदल कर ‘संभाजीनगर’ मौखिक रूप से किया था, जिसे लोगों की स्वीकृति भी मिली थी। और जल्द ही इस लिखित प्रस्ताव से यह आधिकारिक भी हो जाएगा।