आशिषा सिंह राजपूत, नई दिल्ली
भारत के सच्चे राष्ट्रवादी नेता, स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले और आज़ाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 23 जनवरी को 125वीं जयंती है। इस शुभ मौके को मोदी सरकार ने और भी खास बनाते हुए एक बड़ा ऐलान किया है। बता दें कि सरकार द्वारा यह कहा गया है, कि सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाएगा। केंद्र सरकार के पर्यटन एंव संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटले द्वारा यह जानकारी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दी गई।
23 जनवरी “पराक्रम दिवस”
23 जनवरी को स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती है। इस मौके को केंद्र सरकार ने ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने का ऐलान किया है। साथ ही साथ पराक्रम दिवस को एक समारोह के रूप में मनाए जाने की घोषणा भी हुई है। जिसमें प्रधानमंत्री कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में पराक्रम दिवस समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। 23 जनवरी पराक्रम दिवस के मौके को और भी खास बनाते हुए नेताजी के जीवन पर निर्भर एक स्थायी प्रदर्शनी और एक ‘‘प्रोजेक्शन मैपिंग शो’’ का भी उद्घाटन भी किया जाएगा। नेताजी की 125वीं जयंती पर एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी होगा।
वहीं इस मौके पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस का विशाल व्यक्तित्व व उनकी महान जीवन गाथा को 21वीं सदी में पुनः सबको स्मरण और अवलोकन कराने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का भी आयोजन हो रहा है। 23 जनवरी पराक्रम दिवस की मौके पर नेताजी के महान जीवन पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘‘आमरा नूतोन जौवोनेरी दूत’’ का भव्य आयोजन होगा।
नेताजी के जीवन से जुड़ी अहम बातें
सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक में 23 जनवरी, 1897 को प्रभाती दत्त बोस और जानकीनाथ बोस के घर हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नेप्रोटेस्टेंट यूरोपियन स्कूल से प्राप्त की और फिर डिग्री दर्शनशास्त्र में ली। उसके बाद नेताजी का 1920 में सिविल सेवा में चयन हुआ। लेकिन ब्रिटिश सरकार की सेवा ना करने की वजह से नेता जी ने अपना नाम सिविल सेवा से वापस ले लिया। नेताजी लिखने के बड़े शौकीन थे। यही वजह थी, कि उन्होंने “द इंडियन स्ट्रगल” नामक एक पुस्तक लिखी और “स्वराज” नाम से एक अखबार शुरू किया था। नेताजी एक विद्वान स्कॉलर और एक वीर सोल्जर भी थे।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी की भूमिका
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता संग्राम में दिया हुआ एक प्रसिद्ध नारा है “तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा” यह नारा उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व का परिचारक है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा आजाद हिंद फौज का गठन, स्वतंत्रता संग्राम में कुशल नेतृत्व, एवं उनकी समाजवादी सोच नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भारत का एक वीर स्वतंत्रता सेनानी सिद्ध करती है। 1927 के बाद नेताजी ने कांग्रेस पार्टी के महासचिव बनकर भारत के स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में नेताजी की सक्रिय भूमिका रही। सुभाष चंद्र बोस लोगों के बीच नेताजी के रूप में लोकप्रिय थे। वहीं साथ ही साथ भारत से अंग्रेजों को बाहर करने के आंदोलन में भी नेताजी बेहद सक्रिय रहे।