खुशी बाली, नई दिल्ली
साल 2021 से लेकर 2022 तक का बजट सामने आ चुका है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई महत्वपूर्ण बातें सांझा करी है। 1 फरवरी 2021 को जैसे ही बजट पेश किया गया वैसे ही आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को ट्रोल करना शुरू कर दिया। सिर्फ आम आदमी पार्टी ने ही नहीं परंतु कई अन्य पार्टियों ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है।
जानिए किसने बजट की कैसे निंदा करी है
• आम आदमी पार्टी : AAP ने अपने विचार ट्वीटर के माध्यम से सांझा करे हैं। उन्होंने लिखा कि “रेल बेच देंगे, सड़क बेच देंगे, एयरपोर्ट बेच देंगे, बिजली बेच देंगे, किसानी बेच देंगे, वेयरहाउस बेच देंगे
लेकिन मित्रों,
सौगंध मुझे इस मिट्टी की
मैं देश नहीं बिकने दूंगा! 🇮🇳”
🔸रेल बेच देंगे
🔸सड़क बेच देंगे
🔸एयरपोर्ट बेच देंगे
🔸बिजली बेच देंगे
🔸किसानी बेच देंगे
🔸वेयरहाउस बेच देंगेलेकिन मित्रों,
सौगंध मुझे इस मिट्टी की
मैं देश नहीं बिकने दूंगा! 🇮🇳— AAP (@AamAadmiParty) February 1, 2021
एक तरफ AAP के इस ट्वीट की काफी लोगों ने निंदा की है वहीं दूसरी ओर काफी लोग उन्हें सही कह रहे हैं।
• TMC के डेरेक ओ ‘ब्रायन: TMC के डेरेक ओ ‘ब्रायन को तो बजट ही “दृष्टिहीन” दिखाई पढ़ रहा है। वह कहते हैं कि “भारत का पहला पेपरलेस बजट भी 100% दृष्टिहीन बजट है। नकली बजट का विषय भारत बेचना है!” डेरेक ने केंद्रीय बजट को स्लैम करते हुए अपना विचार ट्वीट कर बताया है।
• प्रियंका चतुर्वेदी: शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि “महिलाओं के लिए बहुत कुछ नहीं है।” लगता है कि वह इस साल के बजट से खुश नहीं हैं।
कांग्रेस ने भी भाजपा को तंज कसा
• राहुल गांधी: कांग्रेस के मंत्री राहुल गांधी ने ट्वीट किया कर अपनी टिप्पणी दी है। उन्होंने लिखा कि “लोगों के हाथों में नकदी डालना भूल जाओ, मोदी सरकार की योजना भारत की संपत्ति को अपने कुलीन पूंजीवादी दोस्तों को सौंपने की है।”
• शशि थरूर: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने बजट की आलोचना करते हुए कहा, “यह भाजपा सरकार मुझे उस गैराज मैकेनिक की याद दिलाती है, जिसने अपने मुवक्किल से कहा था,” मैं तुम्हारे ब्रेक को ठीक नहीं कर सकता, इसलिए मैंने तुम्हारा हॉर्न लाउडर कर दिया। ”
• प्रवक्ता मनीष तिवारी: कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यह भी आरोप लगाया कि बजट एक “राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना – नेशनल सेल आउट के लिए छोटा हाथ” था और “बजट में कोई केंद्रीय ध्यान नहीं” था। “एफएम के टॉकथॉर्न (एसआईसी) ने कहा कि जीडीपी की वृद्धि दर 37 वें महीने की गिरावट है। 1991 से सबसे खराब संकट है,” उन्होंने ट्वीट किया। लगता है कि अपने पॉलीटिकल एजेंडा को पूरा करने के चक्कर में बजट जैसे मुद्दे को भी पॉलीटिकल लीडर्स एक सियासी मुद्दा बना बैठे हैं।