आशिषा सिंह राजपूत, नई दिल्ली
जी हां 4 जनवरी 2004 टेक्नोलॉजी की तरक्की का एक ऐसा दिन साबित हुआ। जिसने पूरी दुनिया को ही बदल दिया। बदलते जमाने में दूर होते हुए लोगों को पास लाने के लिए सोशल मीडिया के जगत में 4 फरवरी 2004 को मार्क जुकरबर्ग नामक इस महान व्यक्ति ने हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले अपने 3 साथी दोस्तों के साथ मिलकर “फेसबुक” वेबसाइट को आज ही के दिन पूरी दुनिया में लांच किया था। जानें क्या है फेसबुक से जुड़ी अहम बातें
‘फेसबुक’ की दुनिया
हम और आप जिस दुनिया में रहते हैं, उस दुनिया में लोग अपने व्यस्त जीवन के चलते एक दूसरे से काफी दूर होते जा रहे थे। ऐसे में आज ही के दिन 4 फरवरी 2004 को लोगों के बीच बढ़ती हुई दूरी को खत्म करने के लिए मार्क जुकरबर्ग ने एक नई दुनिया बनाई। जिसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘फेसबुक’ के जरिए लोग ना सिर्फ एक दूसरे से जुड़े। बल्कि एक दूसरे की तस्वीरों पर ‘कमेंट’ कर ‘लाइक’ और ‘शेयर’ भी करना शुरू किया। ‘फेसबुक’ के जरिए लोगों की अपने जान-पहचान वालों से बातें बड़ी तो वहीं दुनिया भर में लोगों को एक दूसरे से जुड़ने का माध्यम भी मिला। और आज आलम यह है कि दुनिया भर में अरबों लोग ‘फेसबुक’ से जुड़े हुए हैं।
‘फेसबुक’ एक ऐसी दुनिया है, जिसमें आज हर कोई पूर्ण रूप से रचा बसा हुआ है। आज अमूमन हर किसी के जीवन का फेसबुक एक अहम हिस्सा बन चुका है। लोग अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी हर घटना और तस्वीरों को फेसबुक पर लोगों से शेयर करते हैं। और कभी उस पर लोगों की पब्लिक कमेंट में प्रतिक्रिया का आदान प्रदान करते हैं। तो कभी फेसबुक मैसेंजर के माध्यम से एक दूसरे की राय भी लेते हैं। आज सोशल मीडिया के दौर में लोगों के फोन से ज्यादा तस्वीरें लोगों के फेसबुक प्रोफाइल पर देखी जाती है। और क्यों ना हो फेसबुक पर शेयर की गई तस्वीरों पर ‘लाइक्स’ जो मिलते हैं। जो लोगों में उनकी ‘तस्वीरों’ और ‘पोस्ट’ को लेकर उत्साह और लालसा जगाते हैं।
मार्क जुकरबर्ग की मेहनत का फल
‘सवाल यह नहीं है कि लोग आपके बारे में क्या जानना चाहते हैं बल्कि सवाल यह है कि लोग अपने बारे में क्या बताना चाहते हैं।’ मार्क जुकरबर्ग द्वारा कही गई यह बात उनके जीवन में मिली सफलता को साबित करती है। 4 फरवरी 2004 में मार्क जुकरबर्ग ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर ‘फेसबुक’ नामक साइट बनाई थी। और साल के आखिरी तक ही फेसबुक से 1 मिलियन यूजर्स जुड़ गए थे। मार्क महज 12 साल की उम्र से ही बेहद मेहनती थे। उनका कंप्यूटर से खासा लगाव बचपन से ही रहा था। पिता द्वारा दी गई C++ नाम की एक किताब को पढ़ने के बाद मार्क का प्रोग्रामिंग डेलवपमेंट में रुझान होने लगा।
जकरबर्ग का मानना है कि ‘सफलता की एक ही गारंटी हैं, लाइफ में रिस्क लेना’ इसी सोच पर चलते हुए उन्होंने कभी किसी नौकरी की इच्छा नहीं रखी। 4 फरवरी 2004 में जकरबर्ग द्वारा बनाई गई फेसबुक वेबसाइट सफलता की हर ऊंचाइयों को प्राप्त करते हुए मार्क जुकरबर्ग की भी एक शक्तिशाली तकदीर लिख दी। फेसबुक से जुड़े लाखों उपयोगकर्ताओं ने आज मार्क जुकरबर्ग को एक अलग पहचान दे दी है।
फेसबुक, फेक न्यूज़ और विवाद
फेसबुक जैसे-जैसे लोगों के बीच जुड़ता गया, लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बनता गया वैसे ही धीरे-धीरे फेसबुक पर फेक न्यूज़ और ढेरों विवाद की भी मानों बाढ़ सी आ गई। फेसबुक पर मनोरंजन और खबरों के आदान-प्रदान का सिलसिला जैसे शुरू हुआ वैसे ही गलत खबरों और विवादों से भी फेसबुक कई बार घिरता रहा। फेसबुक एक वर्चुअल वर्ल्ड भले ही हो लेकिन फेसबुक लोगों के रियल वर्ल्ड पर बहुत असर डालता है। फेसबुक के जरिए इंटरनेट के माध्यम से सेकंडो में खबरें इधर से उधर लोगों तक पहुंच जाती हैं।
ऐसे में कई बार ऐसी स्थिति बनी है जब फेसबुक से गलत और झूठी खबरें लोगों तक पहुंच कर समाज में अराजकता भी फैला चुकी है। फेसबुक एक संचार का बहुत अच्छा माध्यम है। लेकिन कहते हैं ना किसी भी चीज़ का दुरुपयोग अच्छी से अच्छी चीज़ को बुरा बना देता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक कई मौकों पर सामाजिक और राजनीतिक विवादों से जोड़ी गलत और झूठी खबरों को फैलाने के मामले में सोशल नेटवर्किंग कंपनी के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को पत्र भेजकर
पूरे मामले की फेसबुक मुख्यालय की तरफ से उच्च स्तरीय जांच कराई जाने की भी मांग उठ चुकी हैं।