स्पर्श, नई दिल्ली
सन् 1903 में आज के ही दिन यानी कि 17 दिसंबर को विल्वरे राइट तथा ओल्लिवर राइट ने हवाईजहाज से पहली सफल उड़ान पूरी की थी। राइट बंधुओं ने ये उड़ान अमेरिका में एक छोटी सी जगह किट्टी हॉक पर पूरी की। दुनिया के प्रथम जहाज का नाम ‘राइट फ्लायर’ था, जिसे उड़ाने के लिए राइट बंधुओं ने एक 60 फुट लंबा ट्रैक भी बनाया था। जिसे उन्होंने “ग्रांड जंक्शन रेलरोड” का नाम दिया।
उस वक़्त किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन तकनीक इतनी उन्नत होगी कि हवाई जहाज से सात समुंदर पार की भी यात्रा की जा सकेगी। आज हवाई जहाज आवागमन का मुख्य स्रोत बन गए हैं। कुछ घंटों में ही आप एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में पहुंच सकते हैं। भूमंडलीकरण में भी हवाई जहाज ने बहुत सहायता प्रदान की है।
युद्ध में लड़ाकू विमानों का महत्व किसी से छिपा नहीं है। प्रत्येक वर्ष पहले से ज्यादा उन्नत लड़ाकू विमान बनाए जा रहे हैं। वर्तमान में सबसे ज्यादा उन्नत लड़ाकू विमान का तमगा एफ 35 लाइटनिंग ll ( F-35 lightning ll) को मिला हुआ है, जिसका निर्माण लॉकहीड मार्टिन नामक कंपनी ने किया है। ये विमान 1960 प्रति घंटे की रफ्तार से हवा में उड़ सकता है।
यात्री विमानों में वर्तमान में सबसे बड़ा विमान एयरबस ए 380 है, जो एक बार में 850 तक यात्री ले जा सकता है। हालांकि मांग की कमी के चलते इस विमान का उत्पादन 2021 में बंद हो जाएगा। बड़े जहाजों की मांग में कमी का कारण छोटे जहाजों का तकनीकी रूप से ज्यादा सक्षम होना है। हालांकि आवागमन में हवाई जहाज का महत्व किसी से छुपा नहीं है, परन्तु आज भी बड़ी आबादी के लिए विमान से सफर करना एक सपना ही है। इसका मुख्य कारण टिकट की कीमत तथा हवाई अड्डों की कमी है। हवाई जहाज से सफर भारत ही नहीं विश्व की एक बड़ी आबादी की पहुंच से बाहर है।