आशिषा सिंह राजपूत, नई दिल्ली
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने उद्योगपतियों का कर्जा माफ किए जाने पर सरकार पर हमला करते हुए कहा कि,”2378760000000 रुपये का क़र्ज़ इस साल मोदी सरकार ने कुछ उद्योगपतियों का माफ़ किया। इस राशि से कोविड के मुश्किल समय में 11 करोड़ परिवारों को 20-20 हज़ार रुपय दिए जा सकते थे।” गौरतलब है कि कोरोनावायरस की महामारी और लॉकडाउन से भारत की आर्थिक स्थिति पर बहुत असर पड़ा है। ऐसे में सरकार का देश की आर्थिक स्थिति और कमजोर वर्ग पर ध्यान देने की बजाय धन्नासेठों की कर्ज माफी सरकार की नीतियों पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है।
पूंजीपतियों के क़र्ज़ माफ़, आम जनता हताश
कोरोना महामारी में देश की ही नहीं आम जनता की भी आर्थिक रूप से बहुत हालत खराब हुई। अपनी दैनिक जरूरतों का ध्यान रखना भी गरीब वर्ग के लिए मुश्किल हो गया है। ऐसे में किसान अथवा गरीब वर्ग की कर्ज माफी की जगह पूंजीपतियों व उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया जा रहा है।
2378760000000
रुपय का क़र्ज़ इस साल मोदी सरकार ने कुछ उद्योगपतियों का माफ़ किया।इस राशि से कोविड के मुश्किल समय में 11 करोड़ परिवारों को 20-20 हज़ार रुपय दिए जा सकते थे।
मोदी जी के विकास की असलियत!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 31, 2020
मोदी सरकार ने पांच वर्षों में ‘‘सत्ता के करीबी मित्रों’’ के सात लाख 77 हजार 800 करोड़ रुपये माफ कर दिए, वहीं इस साल सरकार ने 2378760000000 रुपये कुछ उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि जब देश कोरोनावायरस जैसी भारी महामारी से जूझ रहा है। जिस वक्त सरकार को देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करने की सोचनी चाहिए उस वक्त सरकार देश के कमजोर वर्ग को दरकिनार कर उद्योगपतियों के बारे में सोच रही है।
मोदी सरकार के विकास की असलियत
राहुल गांधी मोदी सरकार को सूट-बूट वाली सरकार बताते हुए, मोदी जी के विकास की असलियत पर भी कटाक्ष मारा। इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि देश में महामारी में जो हाल हुआ है, उससे सबसे ज्यादा फर्क देश की आम जनता को पड़ा है ऐसे में सरकार का उद्योगपतियों का कर्ज माफ करना सरकार का पूंजी पतियों के प्रति ज्यादा ध्यान दर्शाता है। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि क्या मोदी सरकार के विकास की असलियत चकाचौंध और पूंजीपतियों को आगे बढ़ाने में ही सिमट कर रह गई है?