आशिषा सिंह राजपूत, नई दिल्ली
कृषि कानून को लेकर सरकार और किसानों के बीच देश में विरोध प्रदर्शन और आंदोलन का जो हालात पैदा हुआ है। उससे आज अमूमन हर कोई चिंतित है। लेकिन इस संगीन मुद्दे में भी कुछ राजनीतिक दल और नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार के साथ-साथ अब सुप्रीम कोर्ट के न्याय पर भी सवाल खड़े किए हैं। राहुल गांधी ने अपने टि्वटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए, पूछा है कि क्या कृषि विरोधी कानूनों का समर्थन करने वालों से न्याय की उम्मीद की जा सकती है? उन्होंने किसान आंदोलन को बल देते हुए यह भी कहा कि ‘ये संघर्ष किसान-मज़दूर विरोधी क़ानूनों के ख़त्म होने तक जारी रहेगा। जय जवान, जय किसान!’
कौन हैं, चयनित समिति के सदस्य?
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने किसानों की समस्या और सरकार की नीतियों को सुनने के बाद एक समिति का गठन किया। चार सदस्यों वाली इस समिति में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी के नामों की आधिकारिक घोषणा की गई है।
क्या कृषि-विरोधी क़ानूनों का लिखित समर्थन करने वाले व्यक्तियों से न्याय की उम्मीद की जा सकती है?
ये संघर्ष किसान-मज़दूर विरोधी क़ानूनों के ख़त्म होने तक जारी रहेगा।
जय जवान, जय किसान!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 12, 2021
समिति के चारों सदस्यों पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
उच्चतम न्यायालय ने तीनों कृषि कानूनों को किसानों के विरोध प्रदर्शन को खत्म करने की उम्मीद से तीनों कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही किसानों के विरोध प्रदर्शन पर विचार-विमर्श करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। लेकिन और राहुल गांधी दोनों ही सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि विरोधी कानूनों का समर्थन करने वालों से न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है? वहीं कॉन्ग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी समिति के चारों सदस्यों के चयन पर सवाल उठाते हुए कहा कि इन चार सदस्यों द्वारा कानूनों का अलग-अलग मौकों पर खुलकर समर्थन किया गया है। उन्होंने सवाल किया, ‘फिर ऐसी समिति किसानों के साथ कैसे न्याय करेगी?’
शरद पवार ने SC के आदेश का स्वागत किया
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित किसान समिति के फैसले का स्वागत करते हुए, समिति का समर्थन किया। पवार और राहुल गांधी की उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित इन चार सदस्यों वाली किसान समिति पर व्यक्त की गई प्रतिक्रिया मैं विरोधाभास साफ देखा जा सकता है। बता दें कि शरद पवार ने ट्वीट कर कहा कि “भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन कृषि बिलों को लागू करने और मुद्दों को हल करने के लिए चार सदस्यीय समिति गठित करने के लिए एक स्वागत योग्य निर्णय लिया गया।” पवार द्वारा किया गया या ट्वीट हैरान करने वाला है। बता दें कि शरद पवार, मनमोहन सरकार में 2004 से 2014 तक केंद्रीय कृषि मंत्री रह चुके हैं। अभी हाल फिलहाल पिछले महीने ही वह राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं सहित कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे थे। ऐसे में उनका उच्चतम न्यायालय द्वारा बनाए गए किसान समिति का समर्थन करना हैरान करने वाला है।