खुशी बाली, नई दिल्ली
भारत ने 16 जनवरी को अपना सबसे बड़ा कोविड 19 वैक्सीन अभियान शुरू किया था। यह कदम उठाने वाला पहला देश भारत ही है। इस अभियान से पहले काफी ह्यूमन ट्रायल करे गए। परंतु अब वास्तव में जब यह टीकाकरण अभियान शुरू किया है तो इसके प्रतिकूल प्रभाव सामने आए हैं।
क्या है वह प्रभाव?
दरअसल भारत में टीकाकरण अभियान के तहत सबसे पहले फ्रंटलाइन कर्मचारियों को टीका लगना था। सब सही जा रहा था परंतु कुछ लोगों में टीका लगवाने के बाद कुछ प्रतिकूल प्रभाव दिखे। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अब तक 3.8 लाख लोगों को टीका लगाया गया है। उनमें से, प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं के 580 मामले देखे गए और सात व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। टीका लगने के बाद दो लोगों की मौत भी हुई है। परंतु सरकार ने कहा कि इनका टीके से कोई लेना देना नहीं है। अब खबर यह है कि भारत बायोटेक ने फैक्टशीट जारी करी है। उसमें यह बताया है कि किस बीमारी या अवस्था में लोगों को कोरोना वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
भारत बायोटेक के मुताबिक गर्भवती महिलाएं, या जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं या जिन्हें एलर्जी की शिकायत रही है वह वैक्सीन न लगवाएं। भारत बायोटेक के हिसाब से जब आप वैक्सीन लगवा रहे हों तो ऐसी बातों की जानकारी आपको वैक्सीनेशन ऑफिसर को देनी चाहिए। साथ ही जो लोग ब्लीडिंग डिसऑर्डर से ग्रस्त हैं या खून पतला करने की दवाई ले रहे हैं, उन्हें यह जानकारी अफसर को देनी पड़ेगी। अगर किसी को हल्का सा बुखार है तो भी उन्हें कोविद वैक्सीन से बचना चाहिए। यदि किसी बीमारी की वजह से आपकी इम्युनिटी कमजोर है या आप कुछ ऐसी दवाएं ले रहे हैं, जिससे आपकी इम्युनिटी प्रभावित होती है तो आपको कोवैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए। सरकार ने यह अभियान हमारे देश के लिए शुरू किया है। इसे सफल बनाने के लिए हमें भी उपरोक्त बातों का ध्यान रखना होगा।